1963 में शामिल

मिग 21 को भारतीय वायुसेना में 1963 में शामिल किया गया था. पिछले 60 वर्षों में इसमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं. 1965, 71 और 1999 की करगिल लड़ाई में खास भूमिका रही.

एक विमान कई भूमिका

मिग -21 सुपरसोनिक फाइटर के साथ साथ इंटरसेप्टर रहा है, इसके साथ ही जमीन पर बम ड्राप करने में महारत हासिल रही है,

फ्लाइंग कॉफिन का भी मिला नाम

मिग-21 को फ्लाइंग कॉफिन के नाम से भी जाना जाता है, और यह इसके माथे पर दाग की तरह है, 2012 में इसे फेज आउट करने की बात कही गई थी

तेजस मार्क 1 है स्वदेशी

मिग-21 बाइसन की जगह अब तेजस मार्क 1 को शामिल किया जाएगा। शुरुआती फेज में कुल 83 विमान शामिल किए जाएंगे.

HAL को मिला है सौदा

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड इसका निर्माण कर रहा है. करीब 48 हजार करोड़ के सौदे में 300 से अधिक विमानों का निर्माण होना है,

68 फीसद कलपुर्जे स्वदेशी

तेजस मार्क 1 ए में करीब 68 फीसद कलपुर्जे हैं. इसमें कई एडवांस तकनीक शामिल की गई है, तेजस की मारक क्षमता भी जबरदस्त है.

आसमान की निगहबानी

तेजस के बारे में कहा जा रहा है कि यह पाकिस्तान के एफ 16 को आसानी से मात दे सकता है. दुश्मन के लड़ाकू विमानों को चकमा देने में माहिर है.

हादसे के बारे में अलग अलग राय

मिग -21 के हादसों को लेकर अलग अलग तरह की राय है. कुछ लोग तकनीकी खामी को जिम्मेदार बताते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि हादसे इस वजह से भी अधिक होते हैं क्योंकि आईएएफ की इंवेंट्री में सबसे अधिक संख्या इन विमानों की है.

इसलिए भी खास है तेजस मार्क-1ए

मिग-21 की जगह तेजस को शामिल करने का निर्णय दूरगामी माना जा रहा है.इसे ना सिर्फ रक्षा क्षेत्र में मजबूती बल्कि व्यापार के नजरिए से भी अहम माना जा रहा है.

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