तुमने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है... पढ़िए जुल्फों पर लिखे उर्दू के बेहतरीन शेर

Tahir Kamran
Dec 04, 2024

न झटको ज़ुल्फ़ से पानी ये मोती टूट जाएंगे, तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा मगर दिल टूट जाएंगे

बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई, मैं भी शरीक हूं तिरे हाल-ए-तबाह में

पड़ गई पांव में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या, हम तो उस को भी तिरी ज़ुल्फ़ का बल कहते हैं

चेहरे पे मिरे ज़ुल्फ़ को फैलाओ किसी दिन, क्या रोज़ गरजते हो बरस जाओ किसी दिन

पूछा जो उन से चांद निकलता है किस तरह, ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूं

जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बांधे, तब मैं ने अपने दिल में लाखों ख़याल बांधे

छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुख़्सारों को, तुम ने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है

फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम, जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा

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