जहांआरा शाहजहां की बड़ी बेटी थी. उसे बेगम साहिब कहा जाता था

जहांआरा बला की खूबसूरत थी और शाहजहां उससे बहुत प्यार करता था

अफवाह तो यहां तक थी कि जहांआरा से शाहजहां का लगाव इस हद तक पहुंच गया था कि उस पर यकीन करना मुश्किल था

कुछ मौलवियों का कहना था कि बादशाह ने जो पेड़ खुद लगाया हो, उसके फल तोड़ने से उसे रोकना वाजिब नहीं होगा

शाहजहां के दरबार में बेगम साहिब यानी जहांआरा का बहुत दबदबा था

जहांआरा ने दारा शिकोह से यह वादा लिया था कि जब वह बादशाह बनेगा तो उसे शादी करने की इजाजत देगा

एक किताब में जहांआरा के दो प्रेम प्रसंगों का जिक्र किया गया है. बेगम साहिब हरम में रहती थीं और दूसरी औरतों की तरह उनकी भी पहरेदारी होती थी, लेकिन कहा जाता था कि एक नौजवान उनसे मिलने आया करता था.

शाहजहां को इसकी जानकारी दी गई. उसने तय किया कि वह जहांआरा के पास अचानक किसी वक्त पहुंचेगा, शाहजहां को पता तो चल गया कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन उसने अपने चेहरे पर हैरानी या नाखुशी का भाव नहीं आने दिया

आखिर में उसने कहा कि ऐसा लग रहा है कि जहांआरा ठीक से नहा नहीं रही है और उसका शरीर इसकी गवाही दे रहा है. बेहतर होगा कि वह नहा ले. इसके बाद उसने हिजड़ों से कहा कि पानी गर्म करने के लिए मेटल से बने उस बाथटब के नीचे आग जला दें. हिजड़ों को आदेश दिया गया कि वे आग तब तक न बुझाएं, जब तक कि वह नौजवान मर न जाए.

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