आखिर क्या होती है क्रीमी लेयर, कहीं आप भी तो नहीं हैं इसमें शामिल? ऐसे कर सकते हैं चेक

Zee News Desk
Aug 21, 2024

क्रीमी लेयर क्या है?

ये OBC वर्ग में आर्थिक आधार पर बंटवारे का एक तरीका है. इसमें जो व्यक्ति आता है, उसे सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता.

OBC आरक्षण और क्रीमी लेयर

OBC के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27% आरक्षण है. लेकिन अगर OBC परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.

क्रीमी लेयर की सीमा का विकास

क्रीमी लेयर की सीमा 1993 में 1 लाख रुपये/वर्ष थी. इसे 2004 में 2.5 लाख रुपये, 2008 में 4.5 लाख रुपये, 2013 में 6 लाख रुपये, और 2017 में 8 लाख रुपये कर दिया गया था.

नॉन क्रीमी लेयर क्या है?

अभी, जिन परिवारों की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है, वो नॉन क्रीमी लेयर में आते हैं और उन्हें OBC आरक्षण का लाभ मिलता है.

क्रीमी लेयर के लिए संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4), और 340(1) में "पिछड़े वर्ग" का उल्लेख है, जिसके तहत OBC को विशेष आरक्षण देने का प्रावधान है.

अनुच्छेद 16 और आरक्षण

अनुच्छेद 16 अवसर की समानता की बात करता है, लेकिन पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के अपवाद को शामिल करता है, जैसा कि मंडल आयोग के मामले में हुआ था.

कौन आता है क्रीमी लेयर में?

राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, न्यायधीश, UPSC और राज्य PSC के सदस्य, ग्रुप A और B अधिकारी, PSUs, डॉक्टर, इंजीनियर, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, लेखक, कलाकार और बड़े व्यवसायी आदि इस श्रेणी में आते हैं.

सेना और अन्य सेवा अधिकारी

सेना में कर्नल या उससे ऊपर की रैंक के अधिकारी, वायुसेना, नौसेना और पैरामिलिटरी के समान रैंक के अधिकारी भी क्रीमी लेयर में आते हैं.

संपत्ति और आय

जिनके पास शहरी क्षेत्रों में घर, एक निश्चित सीमा से ज्यादा भूमि या जिनकी सालाना पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से ज्यादा है, वो क्रीमी लेयर में शामिल होते हैं.

क्रीमी लेयर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आरक्षण का फायदा उन्हें मिले जो सच में जरूरतमंद हैं.

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