जहांगीर की मौत के बाद शाहजहां ने नूरजहां की कर दी थी ऐसी हालत

Rachit Kumar
Jun 04, 2023

मुगलों की सल्तनत को अकबर ने उस मुकाम पर पहुंचाया, जिसका सपना बाबर ने देखा था.

अकबर की 1605 में मौत के बाद गद्दी आई सलीम उर्फ जहांगीर के हाथ.

जहांगीर की रगों में मुगलिया और राजपूती खून दौड़ रहा था. जिस मेवाड़ को अकबर भी जीत न पाया, वह जहांगीर के आगे झुक गया था.

हालांकि इसका श्रेय उसके बेटे शाहजहां को जाता है. सल्तनत को आगे बढ़ाने में जहांगीर को कुछ खास रुचि नहीं थी.

जहांगीर अफीम और शराब के कारण दमे का शिकार हो गया था, जिसके बाद शासन नूरजहां के हाथों में आ गया था.

लेकिन जहांगीर की मृत्यु के बाद नूरजहां का क्या हुआ? हालात क्या बने? आइए इसके पीछे की कहानी जानते हैं.

नूरजहां के ताकतवर होने के बाद आगरा के हालात बदल रहे थे. जहांगीर का तीसरा बेटा खुर्रम उर्फ शाहजहां सब देख रहा था.

वह अकबर जैसा जंगबाज था और मेवाड़ के राणा को उसने अपने सामने झुका लिया था. जहांगीर ने उसे अपना वारिस माना था.

उसको शाह-ए-जहां की पदवी से नवाजा गया. इस तरह जहांगीर के राज में नूरजहां और शाहजहां के धड़े पैदा हो गए थे.

जब नूरजहां को शाहजहां से खतरा महसूस होने लगा तो उसने जहांगीर के चौथे बेटे शहरयार को बढ़ावा दिया.

नूरजहां ने पहली शादी से हुई बेटी लाडली बेगम की शादी शहरयार से करवा दी, जिससे माहौल गरमा गया.

जब यह बात दक्खन गए शाहजहां को मालूम चली तो उसने विद्रोह कर दिया. जंग हुई तो जीत जहांगीर की हुई.

शाहजहां ने उदयपुर के राजा के यहां शरण ली. बाद में जहांगीर ने उसको माफ कर दिया.

लेकिन नूरजहां ने उसके बेटे औरंगजेब और दारा शिकोह को बतौर जमानत रख लिया था.

28 अक्टूबर 1626 को जहांगीर का दूसरा बेटा परवेज मर गया. अब गद्दी पर बैठने वाला सिर्फ शाहजहां बचा था.

एक साल बाद 28 अक्टूबर 1627 को जहांगीर चल बसा, उसको लाहौर में दफनाया गया.

इसके बाद शाहजहां गद्दी पर बैठा और उसने नूरजहां को माफ कर दिया और वह लाहौर चली गई और आखिर तक वहीं रही.

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