ओशो की वो बातें जो बदल कर रख देंगी सोचने का तरीका

Zee News Desk
Jul 19, 2024

ये जितनी हमारी प्रार्थनाएं हो रही हैं, भय और लालच पर खड़ी हैं, या तो किसी भय से छुटकारा चाहिए या कोई प्रलोभन है. किसी को नौकरी चाहिए, किसी को स्वास्थ्य चाहिए, हर किसी को कुछ न कुछ चाहिए ही.

जो प्रार्थनाएं कुछ मांगती हों वो प्रार्थनाएं झूठी हैं, फिर कौन सी प्रार्थनाएं सच्ची हो सकती हैं, कौन सा प्रेम सच्चा हो सकता है? जो प्रेम देता है वो सच्चा है, जो प्रार्थना देती है वो सच्ची है.

फिक्र मत करना, लोग पागल भी समझें तो क्या बिगड़ता है. असली सवाल तो पर्मात्मा है कि पर्मात्मा क्या समझता है. असली जवाब तो वहं देना है.

धर्म तुम्हें भयभीत कर विश्वास करना सिखाता है ताकि तुम उनके ग्रंथों पर सवाल खड़े न करो। प्रॉफेटों पर सवाल खड़े न करो। सदियों से धर्मों ने यही किया है। दुनिया में अब धर्मों की जरूरत नहीं। धर्म का कोई भविष्य नहीं।

ये सुंदर स्त्रियां, ये प्यारे चेहरे सब छिन जाएंगे, “कतहुं गए बिलाइकै, हरि बोलौ हरि बोल”, पता भी नहीं चलेगा कहां खो गए, कितनी सुंदर लोग इस पृथ्वी पर रहे, सब खो गए. मिट्टी से उठे और मिट्टी में खो गए पर इंसान ये देखना नहीं चाहता, वो डरता है.

चाहे पास में एक कौड़ी न हो लेकिन अकड़ के ऐसा चलें कि लाखों बैंक में जमा हैं. बाहर तो दिवाली रहे चाहे भीतर दिवाला हो, कोई बात नहीं क्योंकि दुनिया बाहर के देखे चलती है.

तुम जैसा परमात्मा ने कभी नहीं बनाया और न कभी बनाएगा तो इस महान अवसर को मत खो देना जो फिर कभी नहीं आने वाला. भूल के भी नकल मत करना, राम जैसा या बुद्ध जैसा बनने की, क्योंकि परमात्मा बस ये चाहते है कि तुम तुम जैसे पूरे बन जाओ.

चिंता करने का मतलब है ईश्वर की व्यवस्था पर शक करना.

शरीर संभोग से तृप्त हो सकता है, आत्मा प्रेम से ही संतुष्ट होती है. इसे सिर्फ प्रेमी समझ सकते हैं.

तुम अपने चारों ओर जो अनुभव कर रहे हो वो तुम पर निर्भर है. तुमने जैसी जिंदगी पाई है वैसी जिंदगी पाने का तुमने उपाय किया है जान कर या अनजाने में. तुमने जो मांगा था वही मिला है, जो चाहा था वही हुआ है.

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