बिग बॉस ओटीटी के विनर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर एल्विश यादव को नोएडा पुलिस ने रेव पार्टी में सांपो का जहर सप्लाई करने के आरोप में गिरफ्तार किया है.
गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने एल्विश को कोर्ट में पेश किया जहां से उनको 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया गया. इस घटना के बाद अह हर किसी के मन में एक सवाल उठ रहा है कि रेव पार्टी में जहरीले सांपों का क्या इस्तेमाल? और नशे के लिए जहरीले सांपों का इस्तेमाल कैसे होता है. चलिए पता करते हैं.
सबसे पहले, जो लोग नशा करने के लिए जानवरों के अंगों या प्रोडक्ट का उपयोग करते हैं उन्हें साइकोनॉट (Psychonaut) कहा जाता है. वैज्ञानिक रूप से देखें तो, सांप का जहर शराब जैसा नशा नहीं देता है, लेकिन यह नर्वस सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभावों के कारण नशे जैसा महसूस कराने वाले कई तरह के लक्षण पैदा कर सकता है.
नशे जैसा महसूस कराने वाले लक्षण जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिन के कारण उत्पन्न होती है, जो नसों के संचार को प्रभावित कर सकती है. बताया जाता है कि इसके प्रभाव 6-7 दिनों तक रहते हैं.
शुरुआत में, जहर का नशा लेने के लिए लोग पहले सांप को कैमिकल इंजेक्ट करके उसके जहर की क्षमता बढ़ा देते हैं और फिर जानबूझकर जीभ या होठों पर सांप से खुद को कटवा लेते हैं.
जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिन नर्वस सिस्टम को निशाना बनाते हैं और नसों के संकेतों के ट्रांसमिशन में रुकावट डालते हैं, जिससे मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा और मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे कई तरह के प्रभाव पैदा होते हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ के तहत नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा 2014 में जारी एक शोध पत्र के अनुसार, भारत में सांप के जहर के आदी लोग सबसे ज्यादा नाग (कोबरा), कॉमन करैत और हरे सांप का इस्तेमाल करते हैं.
शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि सांप का जहर मस्कैरेनिक रिसेप्टर्स को प्रभावित करता है, जो मेमोरी को बढ़ाने और सीखने जैसी शारीरिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
अध्ययन में बताया गया है कि जब सांप का जहर खून में प्रवेश करता है, तो यह सेरोटोनिन, ब्रैडीकिनिन और अन्य पदार्थों जैसे कैमिकल को रिलीज करता है जो धीरे-धीरे काम करते हैं. इनमें से कुछ रसायनों का आपके दिमाग पर असर हो सकता है, जैसे कि आपको नींद या शांत महसूस कराना.