'अब जरूरत नहीं रजाई की', पढ़िए राहत इंदौरी ने चुनिंदा शेर

Govinda Prajapati
Nov 06, 2023

दोस्ती जब किसी से की जाए, दुश्मनों की भी राय ली जाए

नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है

घर के बाहर ढूंढता रहता हूं दुनिया, घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

बीमार को मरज की दवा देनी चाहिए, मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए

मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूं, यहां हमदर्द हैं दो-चार मेरे

सोए रहते हैं ओढ़ कर खुद को, अब जरूरत नहीं रजाई की

चरागों का घराना चल रहा है, हवा से दोस्ताना चल रहा है

शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया, कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया

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