कछुआ सबसे ज्यादा सालों तक जिंदा रहने वाले रेप्टाइल जीवों में शामिल है. बता दें, हाल ही में नेहरू जूलॉजिकल पार्क में 125 साल के कछुए की मौत हुई है.
कछुए की छोटी प्रजातियां जिन्हें आम तौर पर पालतू जानवरों के रूप में रखा जाता है 30 से 40 साल के बीच जीवित रहते हैं. वहीं, समुद्री कछुओं जैसी बड़ी प्रजातियां लगभग 80 साल और जायंट कछुए 100 से 200 साल तक जिंदा रह सकते हैं.
सबसे ज्यादा जिंदा रहने वाला कछुआ
साइंस के लिए दुनिया का सबसे पुराना कछुआ जोनाथन है, जो सेंट हेलेना द्वीप पर 184 साल तक जिंदा रहा. अनौपचारिक रूप से, पुराने कछुओं के दावे किए गए हैं, जिनमें से एक के बारे में माना जाता है कि जब उसकी मौत हुई थी तो वह 255 साल का था.
स्लो मेटाबॉलिज्म
कछुए के लंबी जिंदगी के पीछे की वजह स्लो मेटाबॉलिज्म को माना जाता है. यानी की इनमें एनर्जी बहुत ही धीरे बनती है जिसके कारण यह बहुत स्लो होते हैं पर लंबा जीते हैं.
स्लो ग्रोथ
कछुए की ग्रोथ बहुत धीरे-धीरे होती है, जिसके कारण वह लंबे समय तक बूढ़े नहीं होते हैं.
सेल्फ प्रोटेक्शन
क्योंकि कछुए को ज्यादा एनर्जी की जरूरत नहीं होती है इसलिए वह बिना खाना- पीना के लंबे समय तक जिंदा रह पाते हैं. साथ ही उनके पत्थर जैसी कवच उन्हें दूसरे जानवरों का शिकार होने से बचाती है.
DNA रेजिस्टेंस
शोध से पता चलता है कि कछुए जल्दी से क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को मारने में सक्षम होते हैं और वे डीएनए क्षति के लिए प्रतिरोधी होते हैं.
स्लो हार्ट रेट
रफ रूल ऑफ थंब के अनुसार, स्लो हार्ट रेट वाले जीव फास्ट हार्ट रेट वाले जीवों से ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं. कछुए का दिल हर मिनट बस 25-10 बार धड़कता है.