गुम न हो जाए कहीं बचपन के ये खेल, फोन से दूर कर बच्चों को सिखाएं अपने जमाने के गेम

Zee News Desk
Sep 14, 2024

आज के डिजिटल युग में बच्चे या तो टीवी पर कार्टून देखते हैं या फिर मोबाइल पर गेम्स से उन्हें फुरसत नहीं हैं.

80- 90 के दशक में जो गेम्स खेल जाते थे, उनके बारे में तो आज की जेनरेशन के बच्चे जानते तक नहीं हैं.

ऐसे में इन खेलों को वापस से Revive करना बेहद जरूरी है, इससे की पहले ये पूरी तरह से लुप्त हो जाए.

रस्सी कूद

आज जहां लोग खुद को फिट रखने के लिए skipping करते हैं, वहीं बचपन में इसे मजे लेकर खेला जाता था.

खो -खो

दो टीम के बीच होने वाली इस पकड़म-पकड़ाई के खेल में मजा तो आता ही है, लेकिन ये गेम स्ट्रेटजी बनाना भी सिखाता है.

स्टापू

फर्श पर चौक से हॉपस्कॉच का पैटर्न बनाकर इस पर कूदना होता है. इस खेल में पैरों की मांसपेशियों को कसरत मिलती है.

गिल्ली-डंडा

गिल्ली के एक सिरे को डंडे से मार कर खेला जाने वाला ये खेल गांव में बहुत पॉपुलर हुआ करता था.

कंचे

हरे रंग की कंचों की बनावट और रंगत ही बच्‍चों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी. कंचों का सट्टा लगाकर जीतने का मज़ा ही कुछ और था.

राजा-मंत्री-चोर-सिपाही

कागज के टुकड़ों से खेले जाने वाले इस गेम में चोर की पर्ची आने का अलग ही खौंफ बना रहता था.

आंख मिचोली

आंखों पर पट्टी बांधकर दूसरों को पकड़ने वाला ये गेम बचपन में आखिर किसने नहीं खेला होगा.

लट्टू

एक समय लट्टू सड़कों पर खेले जाने वाला भारत का सबसे पसंदीदा खेल हुआ करता था.

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