600 साल पुरानी मंदिर, इंसान ही नहीं जानवर भी आते हैं दर्शन करने

Alkesh Kushwaha
May 03, 2024

भारत एक धार्मिक देश है जिसमें अनेक मंदिर और पवित्र नदियां हैं जो पूरे विश्व से श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं.

आपने भगवान, देवी-देवताओं और लोक देवताओं की पूजा के लिए समर्पित कई मंदिरों को देखा होगा.

वहीं कुछ मंदिर जानवरों के लिए भी हैं. राजस्थान के झुंझुनू जिले के बकरा गांव में एक अनोखा मंदिर अपनी उपचार शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है.

माना जाता है कि यह पशुओं और मनुष्यों दोनों के कष्टों को दूर करता है.

यह मंदिर सकलाय गांव के एक श्रद्धेय व्यक्ति पाला सकलाय दादा को समर्पित है.

मंदिर को काफी मान्यता प्राप्त है और कहा जाता है कि यहां मानव और पशु दोनों का ही दुख-दर्द दूर हो जाता है.

कहा जाता है कि मंदिर का इतिहास कई सदियों पुराना है. लगभग 600 साल पुराना है.

पाला सकलाय दादा गांव की गायों को लुटेरों से बचाते हुए वीरतापूर्वक शहीद हो गए थे.

खेतों में काम कर रहे लोगों के सामने ही, गांव के बाहर उनकी मृत्यु हो गई. जहां वो गिरे थे, उसी जगह पर पाला सकलाय का मंदिर बनाया गया. तबसे लोग उन्हें लोक देवता के रूप में पूजते हैं.

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