पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से कैलाश को कुबेर की नगरी कहा गया है. कैलाश के नीचे से मृत्युलोक की शुरूआत होती है.
कैलाश को धरती का केंद्र माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार कैलाश दुनिया के 4 मुख्य धर्मों का केंद्र बताया गया है. हिंदु, बौद्ध, सिख और जैन धर्म
कहते हैं कि आज तक कैलाश पर कोई नहीं चढ़ पाया है. मगर 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध योगी ने इस पर चढ़ाई की थी.
यहां पर एक खारे पानी का सरोवर है, जिसको राक्षस झील बोलते हैं. दूसरी ओर खारे पानी का सरोवर है, जिसको हर कोई जानता है- मानसरोवर
कई लोगों का दावा है कि कैलाश से डमरू और ओम की आवाज सुनाई देती है.
लोगों का मानना है कि यहां पर येति मानव रहता है, जो कि इंसानों को मारकर खा जाता है. ये कोई भूरे भालू जैसा दिखता है.
कहते हैं कि कैलाश के आस पास एक अलग प्रकार की ऊर्जा है. इसीलिए यहां पर केवल पुण्यआत्माएं ही रह सकती हैं.
कैलाश की चार दिशाओं से चार नदियों का उद्गम होता है. ब्रम्हपुत्र, सिंधु, सतलज और करनाली. इन्हीं से फिर अन्य नदियां निकलती हैं जैसे कि गंगा , सरस्वती आदि.
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