क्या दरियाई घोड़ा भी उड़ सकते हैं? चौंकाने वाला खुलासा
Alkesh Kushwaha
Jul 09, 2024
दरियाई घोड़ा
आप सोच भी नहीं सकते कि दरियाई घोड़ा उड़ सकते हैं, लेकिन ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का मानना है कि ये 2,000 किलो तक वजनदार जानवर कभी-कभी हवा में उछल सकते हैं.
फुटेज पर स्टडीज
लंदन के पास हर्टफोर्डशायर में स्थित रॉयल वेटरनरी कॉलेज के रिसर्चर्स ने इन जानवरों की वीडियो फुटेज पर स्टडीज की है और पाया है कि ये भारी भरकम जानवर तेज रफ्तार में दौड़ते समय थोड़ी देर के लिए हवा में उछल सकते हैं.
साइंटिस्ट
साइंटिस्ट का कहना है कि इन वीडियो में देखा गया कि हिप्पो दूसरों को दौड़ाते समय 15% तक के समय अपने चारों पैरों को एक साथ जमीन से उठा लेते हैं.
नई खोज
ये नई खोज हिप्पो को दुनिया के सबसे भारी धरती पर रहने वाले जानवरों हाथी और गैंडों के बीच दौड़ने-फुर्ती में ला खड़ा कर दिया है.
हाथी-गैंडे
हाथी चाहे कितनी भी तेज रफ्तार में चलें, वो पैदल ही चलते हैं. वहीं दूसरी तरफ, गैंडे चल सकते हैं, हल्की रफ्तार से दौड़ सकते हैं.
हिप्पो
वहीं, हिप्पो ज्यादातर ट्रॉटिंग करते हैं, जहां उनके पैर एक साथ उठते हैं.
एक्सपर्ट की राय
जीव विज्ञान के प्रोफेसर जॉन हचिन्सन बताते हैं कि हिप्पो पर अब तक रिसर्च करना मुश्किल था क्योंकि उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है. वो बहुत खतरनाक होते हैं, रात में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं और ज़्यादातर समय पानी में ही रहते हैं.
यूट्यूब पर रिसर्च की
हिप्पो कैसे चलते हैं, ये पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने यूट्यूब पर हिप्पो के ढेरों सारे वीडियो ढूंढ निकाले. फिर उन्होंने एक-एक फ्रेम को ध्यान से देखकर ये पता लगाने की कोशिश की कि कभी हिप्पो के पैर जमीन से उठते भी हैं या नहीं.
प्रोफेसर हचिन्सन
प्रोफेसर हचिन्सन ने अपने एक छात्र को ये भी भेजा कि वो हिप्पो के रहने की जगह से पानी पीने की जगह जाते समय के वीडियो बनाकर लाए. फिर इन सभी वीडियो को देखने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि आम तौर पर हिप्पो चाहे धीमे चलें या तेज, वो ट्रॉटिंग ही करते हैं.
रिसर्च पर काम
मगर जल्दी में उन्हें थोड़ी देर के लिए हवा में उछलना भी पड़ सकता है. प्रोफेसर हचिन्सन को लगता है कि उनकी ये रिसर्च ये समझने में काफी मददगार हो सकती है कि धरती पर रहने वाले बड़े जानवर जैसे डायनासोर कैसे चलते थे.
एक-एक फ्रेम देखें
ये रिसर्च सुनने में तो आसान लगती है, पर असल में ये बहुत मुश्किल थी. प्रोफेसर हचिन्सन ने इसे बहुत ही उबाऊ और थकाऊ काम बताया क्योंकि उन्हें ढेरों सारे वीडियो को एक-एक फ्रेम देखकर जांचना पड़ा.