विज्ञान की तरक्की और इंसानों की खोजी भावना से अंतरिक्ष नई दुनिया के रूप में उभर रहा है.
लेकिन वहां जाने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को कई महीनों या सालों तक सख्त ट्रेनिंग लेनी पड़ती है.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि लंबे समय तक अंतरिक्ष जैसे वातावरण में रहने से अंतरिक्ष यात्री धीरे बूढ़े होते हैं.
ये समय के धीमा हो जाने (टाइम डाइलेशन) की वजह से होता है, जैसा कि आइंस्टीन के रिलेटिविटी के सिद्धांत में बताया गया है.
इस सिद्धांत के अनुसार समय सापेक्ष होता है और गुरुत्वाकर्षण और गति से प्रभावित होता है.
अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, विकिरण और अकेलेपन का असर अंतरिक्ष यात्रियों की उम्र पर पड़ता है.
कम गुरुत्वाकर्षण और तेज गति के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के लिए समय थोड़ा धीमा चलता है.
इसे गुरुत्वाकर्षण संबंधी समय विलंबन (ग्रैविटेशनल टाइम डाइलेशन) कहते हैं, जिसे बहुत सटीक परमाणु घड़ियों से जांचा गया है.
ये असर तेज गति से चलने वाले हवाई जहाजों और बहुत ज्यादा गुरुत्वाकर्षण वाले क्षेत्रों में भी देखा गया है.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) का कहना है कि छह महीने अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताने के बाद अंतरिक्ष यात्री हम लोगों से करीब 0.005 सेकंड कम उम्र के होते हैं.