बादशाह अकबर मुगल शासन के तीसरे शासक थे जो 14 साल की उम्र में ही राजा बन गए थे. ऐसा माना जाता है कि अकबर अपने शासन काल में हरम की भूमिका से काफी प्रभावित थे.
बादशाह अकबर का जैसे अपनी बेगम, राज्य और अन्य चीजों से रिश्ता था उसी प्रकार पेटीकोट से भी एक प्रकार का रिश्ता था. चलिए जानते हैं आखिर क्या था पेटीकोट से रिश्ता...
पेटीकोट नियम
मुगल काल में शासन को पर्दा नियम या पेटीकोट नियम के नाम से भी जाना जाता था. इस तरह के शासन में महिलाओं को अधिक प्रधानता और प्रभुत्व दिया जाता था.
निर्णय
अकबर मात्र 14 वर्ष के थे जब राजा बन गए थे इसलिए उन्होंने इतनी छोटी सी उम्र में ही खुद से निर्णय लेने शुरू कर दिए थे.
प्रभावशाली लोग
अकबर के शासन के दौरान उनके निर्णय को अंगा और जीजा अंगा प्रभावशाली तरीके से प्रभावित करते थे इसी से ये पेटीकोट प्रथा बन गई.
कब तक चली ये प्रथा
इतिहासकारों के अनुसार 1556 से लेकर 1560 तक ही पेटीकोट शासन चला.
पेटीकोट सरकार
इतिहासकारों के अनुसार 1556 से लेकर 1562 को पेटीकोट सरकार कहा गया है. इस समय सरकार में हरम की महिलाओं का प्रभाव काफी बढ़ गया था.
पेटीकोट नियम
इतिहासकारों के अनुसार जब महम अंगा के बेटे आदम खान ने शाही धन लूट लिया था तो अकबर ने उसे मौत की सजा सुनाई थी.
कब हुआ अंत
अकबर जब 1556 में 21 साल के थे जब दरबार में कई लोगों के आने का प्रभाव बढ़ गया था जिसके चलते 1564 में पेटीकोट शासन समाप्त हो गया.