मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच की दुश्मनी को इतिहास में सबसे ज्यादा चर्चा मिली हुई है.
महाराणा प्रताप ही ऐसे राजा थे जिनको अकबर अपने सामने झुका नहीं पाया था.
महाराणा प्रताप और अकबर के हल्दी घाटी के युद्ध को इतिहास में शौर्य के बेहतरीन प्रदर्शनों में से एक माना गया है.
इस युद्ध के बाद महाराणा प्रताप को घने जंगलों में रहने पर मजबूर होना पड़ा था. जगंलों में रहकर भी महाराणा प्रताप ने मुगल सेना से लगातार युद्ध लड़े थे.
महाराणा के पास खाने को कुछ नहीं होता था इसलिए वो घास की रोटी खाते थे. लेकिन फिर भी उन्होंने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके.
मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप को अकबर अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता था. इसी वजह से अकबर अपने दरबार मे महाराणा का जिक्र तक पसंद नहीं करता था.
ऐसे में अगर ये सवाल लिया जाए कि महाराणा प्रताप के मरने पर अकबर ने क्या किया होगा, तो आप कहेंगे कि अकबर ने जश्न मनाया होगा. लेकिन असल में ऐसा नहीं था.
महज 57 साल की उम्र में 29 जनवरी 1597 को मेवाड़ की नई राजधानी चावंड़ में महाराणा प्रताप का निधन हुआ था. ऐसा कहा जाता है कि वो अपने धनुष की डोर खींचते समय घायल हो गए थे.
अब्दुर रहमान खानखाना ने महाराणा प्रताप के निधन पर अकबर के रिएक्शन के बारे में लिखा- अपने सबसे बड़े दुश्मन की मौत पर अकबर की आंखों में आंसू आ गए थे.