दिल्ली सल्तनत की पहली मुस्लिम महिला शासक के रूप में मशहूर रजिया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक दिल्ली पर शासन किया.
Alkesh Kushwaha
Jun 06, 2023
मामलुक वंश
मामलुक वंश के इतिहास में कभी भी 'सुल्तान' की उपाधि किसी महिला को नहीं दी गई थी. हालांकि, रजिया सुल्तान ने सुल्तान बनकर हमेशा के लिए इतिहास रच दिया.
गद्दी संभाली
जब रजिया ने 10 नवंबर 1236 को जलालत-उद-दीन रज़िया के आधिकारिक नाम के साथ गद्दी संभाली, तो उसने पर्दा सहित अपनी पारंपरिक मुस्लिम महिला पोशाक को छोड़ने का फैसला लिया.
पुरुषों का पोशाक अपनाया
रजिया ने पुरुषों के पोशाक को अपनाया. रजिया ने 'सुल्ताना' के नाम से संबोधित होने से इनकार कर दिया.
उसका मानना था सुल्ताना का अर्थ "सुल्तान की पत्नी या रखैल". उसने घोषणा की कि उसे "सुल्तान" के रूप में संबोधित किया जाए.
मामलुक वंश शासक रजिया सुल्तान को दुनिया भर में इस्लामी सभ्यताओं के इतिहास में बहुत कम महिला शासकों में से एक मानता है.
सिक्कों का निर्माण
अपने शासनकाल के दौरान रजिया "महिलाओं का स्तंभ, समय की रानी, सुल्तान रजिया, शम्सुद्दीन इल्तुतमिश की बेटी" शीर्षक के साथ सिक्कों का निर्माण करवाया.
कैदी याकूत से प्यार
इतिहासकारों की माने तो रजिया को कैदी याकूत से प्यार हो गया था. उनके रिश्ते से तमाम मुस्लिम वर्ग नाराज था. भटिंडा के गर्वनर मलिक अल्तुनिया को उससे बचपन से ही प्यार था. उसने दिल्ली पर हमला कर दिया और याकूत को मार डाला और रजिया को बंदी बना लिया गया.
भाई बेहराम शाह का कब्जा
फिर दिल्ली पर उसके भाई बेहराम शाह का कब्जा हो गया. हालांकि, रजिया और अल्तुनिया ने मिलकर दिल्ली पर हमला किया, लेकिन दोनों हार गए और भाग निकले.
14 अक्टूबर 1240 को मौत
वहां से निकलकर दोनों कैथल गए, जहां उनके सैनिकों ने उनका साथ छोड़ दिया और फिर 14 अक्टूबर 1240 को दोनों को मार दिया गया. हालांकि, रजिया की कब्र दिल्ली में मौजूद है.