15 अगस्त पर कुमार विश्वास की ये कविता सुनकर खड़े हो जाएंगे रौंगटे, रग-रग में दौड़ने लगेगा देशभक्ति का खून

Zee News Desk
Aug 12, 2024

है नमन उनको कि जो देह को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं, है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं.

पिता जिनके रक्त ने उज्जवल किया कुलवंश माथा, मां वही जो दूध से इस देश की रज तौल आई, बहन जिसने सावनों में हर लिया पतझर स्वयं ही, हाथ ना उलझें कलाई से जो राखी खोल लाई.

बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थीं, पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जाकर बोल आये, है नमन उस देहरी को जहां तुम खेले कन्हैया, घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गये.

हमने लौटाये सिकन्दर सर झुकाए मात खाए, हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है, नर्क में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी, उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है.

सिंह के दाँतों से गिनती सीखने वालों के आगे, शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है, जूझना यमराज से आदत पुरानी है हमारी, उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है.

है नमन उनको कि जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन, काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गये हैं, है नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं.

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे, विजय के उदघोष, गीता के कथन तुमको नमन है, राखियों की प्रतीक्षा, सिन्दूरदानों की व्यथाओं, देशहित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है.

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