दशहरा 1582, जब अकबर के लिए काल बनी थी महाराणा प्रताप की सेना, 36000 मुगलों ने टेक दिए थे घुटने

Zee News Desk
Oct 11, 2024

महाराणा प्रताप के बारे में हमेशा यहीं बताया गया है कि हल्दीघाटी के युद्ध में उन्हें मुगलों से हार मिली थी.

भामाशाह की मदद से महाराणा प्रताप को लगभग 40,000 सैनिकों की सेना बनाने में मदद मिल गई थी.

युद्ध के लिए दिवेर को चुनना उनकी रणनीति का सबसे मजबूत हिस्सा था, क्योंकि ये दुश्मन सेना के लिए एक प्रवेश द्वार है.

1582 में विजयादशमी यानि दशहरा के दिन दिवेर का युद्ध शुरू हुआ. महाराणा को अपनी सेना और रणनीति पर पूरा भरोसा था.

उन्होंने सेना को 2 भाग में बांट दिया जिसमें एक टुकड़ी का नेतृत्व उनके बेटे अमर सिंह कर रहे थे.

महाराणा और उनकी सेना ने कुंभलगढ़ से 40 किलोमीटर देवर गांव में मुगल चौकी पर पहला हमला किया.

युद्ध के दौरान अमर सिंह ने मुगल सेनापति सुल्तान खान पर ऐसा जोरदार वार किया कि वह भाले समेत जमीन में धंस गया.

अमर सिंह ने इतनी ताकत से हमला किया था कि कोई भी मुगल सैनिक भाला निकाल नहीं पाया.

अपने सेनापति कि ऐसी हालत देखकर मुगलों में भाग-दौड़ मच गई और 36000 मुगल सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया.

इस अभियान में महाराणा प्रताप ने चित्तौड़, अजमेर और मांडलगढ़ को छोड़कर पूरे मेवाड़ को फिर से जीत लिया.

VIEW ALL

Read Next Story