दुनिया के ज्यादातर लोगों को सांपों से डर लगता है. असल में, सांप, मकड़ी और दूसरे रेंगने वाले जीवों से डरना हर जगह पाया जाता है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंसानों में जन्म से ही सांपों से डरने की सीख लेने की एक खासियत होती है, जिसे "बायोलॉजिकल प्रिपेयर्डनेस" (Biological Preparedness) कहते हैं.
रिसर्च करने वाले बताते हैं कि ये डर हमारे अंदर बहुत गहराई से बैठा हुआ है, जो शायद हमारे 40-60 करोड़ साल पहले रहने वाले पूर्वजों से हमें मिला है.
इतिहास बताता है कि जहरीले सांपों से सामना इंसानों के लिए जानलेवा साबित होता था, जिस वजह से इंसान जल्दी सीख लेते थे कि सांपों से डरना चाहिए.
इस तरह से ये डर उनकी आनुवंशिकता में शामिल हो गया.
नतीजतन, सांपों को देखते ही हमारे शरीर में तनाव की प्रतिक्रिया होती है.
कहानियां, लोक-कथाएं और सांस्कृतिक मान्यताएं भी सांपों को खतरनाक, बुराई और डर के प्रतीक के रूप में दिखाती हैं.
2013 के एक स्टडी में पाया गया कि हमारा दिमाग बचपन से ही सांप जैसी आकृतियों से डरने के लिए तैयार किया गया है.
सांपों की कुछ खास शारीरिक बनावट भी उनके डर को बढ़ा देती हैं.
उनका लंबा, पतला शरीर, जो अक्सर खाल से ढका होता है और उनकी बिना पलक झपकाए घूरने की आदत हमें अजीब और डरावनी लगती है.