ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में सूर्य को राजा माना गया गया है. साइंस भी मानता है कि इसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. वेदों में इसे संसार की आत्मा कहा गया है.
धधकता हुआ तारा
सूरज में 70 प्रतिशत से ज्यादा हाइड्रोजन और 26 प्रतिशत तक हीलियम गैस मौजूद हैं, क्योंकि हाइड्रोजन के परमाणु घने वातावरण में फ्यूजन की क्रिया करते हैं और हीलियम बनाते हैं
प्रकाश उत्सर्जन होता है
इस प्रक्रिया में वह ऊर्जा छोड़ते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में प्रकाश उत्सर्जित होता है और सूर्य जलता हुआ दिखाई देता है. सूर्य पर कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन भी प्रचुर मात्रा हैं.
वैदिक काल से ही भारत में इसकी उपासना होती रही है. पृथ्वी के मुकाबले यह लगभग 109 गुना बड़ा है, लेकिन हमारे ब्रह्मांड में सूर्य जैसे खरबों या उससे ज्यादा पिंड मौजूद हैं.
सूरज का तापमान
सूर्य के प्रकाश को धरती पर पहुंचने में 8 मिनट 16.6 सेकंड लगता है. सूरज के भीतर का तापमान 14,999,726 डिग्री सेल्सियस होता है. इसी कारण उसके करीब पहुंचना आसान ही नहीं नामुमकिन सा है.
सोलर डस्ट रिंग से लगाते हैं अनुमान
अनुमान है कि सूरज करीब 4.6 अरब साल पुराना है और इसका जीवन 10 अरब साल या ज्यादा हो सकता है. पृथ्वी से करीब 13 लाख गुना बड़ा होने से इसकी ग्रेविटी भी धरती से 27 गुना ज्यादा है.
इसकी ग्रेविटी सौरमंडल को एक कक्षा में रखती है
इसके चारो ओर बड़े से बड़े पिंड से लेकर किसी अंतरिक्ष यान के मलबे के एक छोटे से हिस्से को अंतरिक्ष में एक कक्षा में बनाए रखने में सूर्य के गुरुत्वाकर्षण की अहम भूमिका होती है.
केवल गैसों से बना एक पिंड है सूर्य
आपको जानकर हैरानी होगी कि सूर्य, किसी और ग्रह की तरह ठोस नहीं है, यहां सिर्फ गैस है. सूर्य में अधिकतम तापमान उसके केंद्र में होता है, जो 1.5 करोड़ डिग्री सेल्सियस होता है.
गर्म और आवेश युक्त कण है प्लाज्मा
सूर्य अत्यधिक गर्म और आवेश युक्त कणों के गैस से बना हुआ है, जिसे प्लाज्मा कहते हैं. प्लाज्मा सूर्य के भूमध्य रेखा पर इसका एक चक्कर पृथ्वी के 25 दिनों में पूरा होता है. जबकि ध्रुवों पर 36 पृथ्वी दिन लगते हैं.
सूर्य के चारों ओर धूल के घेरे हैं
सूर्य की ऊपरी सतह फोटोस्फीयर, इसके ऊपर क्रोमोस्फीयर और कोरोना होती है. यहीं पर परमाणु फ्यूजन से विशाल विस्फोट होते रहते हैं, जिसके उर्जायुक्त कण पृथ्वी पर पहुंचते हैं.