फैज अहमद फैज के सबसे उम्दा शेर, जिन्हें पढ़कर आप भी कहेंगे वाह-वाह!

Zee News Desk
Oct 01, 2023

और भी दुख हैं जमाने में मोहब्बत के सिवा, राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है, लम्बी है गम की शाम मगर शाम ही तो है

कर रहा था गम-ए-जहां का हिसाब, आज तुम याद बे-हिसाब आए

और क्या देखने को बाकी है, आप से दिल लगा के देख लिया

तुम्हारी याद के जब जख्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

वो बात सारे फसाने में जिस का जिक्र न था, वो बात उनको बहुत ना-गवार गुजरी है

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले, चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले

न जाने किस लिए उम्मीदवार बैठा हूं, इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुजर भी नहीं

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