भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने बताएं हैं तरीके, रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए गांठ बांध लें ये 5 बातें

Arti Azad
Oct 04, 2023

Bhagavad Gita Relationship Advice:

अक्सर व्यक्ति उनकी कद्र नहीं करता, जो लोग उसे रिश्तों के रूप में मुफ्त में मिल जाते हैं. इसके बिना सारी सुख-सुविधाओं के बाद भी व्यक्ति अकेला और अभागा ही रहता है.

समय पर रिश्तों का महत्व समझना जरूरी

जीवन के दुखी और आखिरी पलों में व्यक्ति फिर आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं कर पाता है. ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण अनुभव से बचना हैं, तो समझदारी यही है कि वक्त रहते अपने रिश्तों को मजबूत कर लें.

महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश भगवद् गीता के रूप में उपलब्ध है, जिनमें से 5 बातें आपको समझना जरूरी है..

आत्म-साक्षात्कार से शुरू होता है सच्चा ज्ञान

जरूरी है कि सबसे पहले खुद को गहरे स्तर पर समझना, क्योंकि किसी के साथ स्वस्थ संबंध तभी बना सकता है, जब हम खुद की इच्छाओं, डर, शक्तियों और कमजोरियों जानते हो.

आसक्ति और वैराग्य

व्यक्ति सुख तभी होगा, जब वह वैरागी हो जाए. इसका मतलब है व्यक्ति सबसे जुड़कर भी किसी का मोह ना रखें. इससे रिश्तों पर निराशाओं और अपेक्षाओं का प्रभाव कम होगा, जो अलगाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.

कर्तव्य को पूरा करने के महत्व पर जोर

विभिन्न भूमिकाओं में अपनी जिम्मेदारी को समझना और उन्हें पूरा करना. जब व्यक्ति धर्म के अनुसार चलता है, तभी वह रिश्तों में सकारात्मक योगदान देकर तालमेल रख पाता है.

कर्म योग

गीता में कर्मयोग को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है. इसके अनुसार व्यक्ति को फल की चिंता किए बिना निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए.

कुछ पाए बिना सिर्फ देने की भावना

रिश्ते में इस सिद्धांत का अर्थ है बदले में कुछ पाने की उम्मीद किए बिना सिर्फ देने की भावना. जब निस्वार्थ भाव से प्रेम और काम करते हैं, तो रिश्ते ज्यादा वास्तविक और कम लेनदेन वाले होते हैं.

दूसरों को सम्मान देना जरूरी

जिस प्रकार आप अपने लिए दूसरों से सम्मान के अपेक्षा रखते हैं, उसी प्रकार आपको पशु-पक्षी समेत सबका सम्मान करना चाहिए.

यही समझ बेहतर करती है रिश्तें

व्यक्ति को छोटे-बड़े का भेद नहीं करना चाहिए. यह समझ ही रिश्तों में सहानुभूति, करुणा और सहनशीलता को जन्म देती है, जो इन्हें मजबूत रखने के लिए जरूरी है.

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