सफलता का राज हैं संस्कृत के ये 5 श्लोक

Aug 03, 2024

श्लोक-

अमृतत्वस्य तु नाशास्ति वित्तेन।

अर्थ-

धन से अमरत्व प्राप्त नहीं किया जा सकता.

श्लोक-

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता। निद्रा तन्द्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

अर्थ-

वैभव और उन्नति की प्राप्ति के लिए पुरुष को नींद, ऊंघना, डर, क्रोध, आलस्य और दीर्घसूत्रता को त्याग देना चाहिए.

श्लोक-

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत। क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति।।

अर्थ-

उठो, जागो, और जानकार श्रेष्ठ पुरुषों के सान्निध्य में ज्ञान प्राप्त करो.

श्लोक-

अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम्। अधनस्य कुतो मित्रममित्रस्य कुतः सुखम्।।

अर्थ-

जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं होती

श्लोक-

काक चेष्टा बको ध्यानं, श्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी गृह त्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥ "

अर्थ-

कौआ की तरह चतुर, बगुला की तरह ध्यान करने वाले, स्वान की तरह कम निंद्रा , तथा कम खाने वाला, ग्रह का त्याग करने वाले ही विद्यार्थी के पांच लक्षण हैं

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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