भक्त प्रहलाद की रक्षा करने भगवान ने पलट दी थी बाजी, जानें कहानी
Shraddha Jain
Mar 24, 2024
बालक प्रहलाद
प्रहलाद एक छोटा सा बालक था, जिसकी भगवान विष्णु में अटूट श्रद्धा थी. लेकिन इससे उलट उसका पिता राजा हिरण्यकश्यप नास्तिक था और भगवान को नहीं मानता था.
अहंकारी राजा हिरण्यकश्यप
हिरण्यकश्यप अहंकारी था और उसको यह रास नहीं आ रहा था कि उसका बेटा भगवान को माने. उसने अपने बेटे को कई बार समझाया कि वह विष्णु जी की पूजा करना छोड़ दे.
भगवान विष्णु
वहीं बालक प्रहलाद अपनी आस्था पर अडिग रहा और उसने भगवान विष्णु की पूजा-आराधना करना जारी रखा.
पिता ने पुत्र को दी यातनाएं
इससे हिरण्यकश्यप आगबबूला हो उठा. उसने अपने पुत्र को यातनाएं देनी शुरू कीं, ताकि वह भगवान की भक्ति करना छोड़ दे.
असफल रहा हिरण्यकश्यप
भक्त प्रहलाद की भक्ति के आगे पिता राजा हिरण्यकश्यप की एक ना चली. वह सारी यातनाएं सहकर भी प्रभु की भक्ति करता रहा.
होलिका की ली मदद
तब राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे को सबक सिखाने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली. होलिका को भगवान शिव से वरदान में ऐसी चादर मिली थी, जिसे अग्नि नहीं जला सकती थी.
चादर ओढ़कर बैठ गई होलिका
होलिका वह चादर ओढ़कर प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई. लेकिन वह चादर भी होलिका को नहीं बचा पाई.
भक्त प्रहलाद
भगवान की कृपा से वह चादर उड़कर भक्त प्रहलाद पर आ गई और होलिका अग्नि में जलकर मर गई. हिरण्यकश्यप रूपी बुराई की हार हुई और भक्त प्रहलाद की भक्ति जीत गई. तब से ही हर साल होलिका दहन किया जाता है.