द्रौपदी का चीरहरण करने वाले दुःशासन को स्वर्ग मिला था या नरक?

Saumya Tripathi
Aug 10, 2024

महाभारत का युद्ध जीतने के बाद पांडवों ने हस्तिनापुर का 36 साल तक राज- काज संभाला.

इसके बाद अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र परीक्षित को अपना राज-पाठ सौंपकर वह स्वर्ग की ओर चल दिए.

स्वर्ग पहुंचते- पहुंचते सबसे पहले द्रौपदी...फिर नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन भी मृत्यु को प्राप्त हुए.

आखिर में युधिष्ठिर हस्तिनापुर से साथ चले कुत्ते के साथ स्वर्ग पहुंचे. जहां उनका स्वागत दुर्योधन ने किया.

इसके साथ वहां मौजूद शकुनि और दुशासन (दु:शासन) को युधिष्ठिर ने देखा. जिस पर वो काफी क्रोधित हुए.

इस पर उन्होंने इंद्र से सवाल किया कि ये लोग यहां क्या कर रहे हैं? जिस पर नारद मुनि ने समझाया कि युद्ध भूमि में वीरता से लड़कर मरने वाला हर व्यक्ति यहां मौजूद है.

फिर युधिष्ठिर ने अपने भाई और पत्नी के बारे में पूछा तब उन्हें पता चला कि वह तो नरक में है तो युधिष्ठिर ने नरक जाने का फैसला किया.

दरअसल, कौरव सिर्फ कुछ ही क्षण के लिए स्वर्ग में थे और पांडव कुछ ही क्षण के लिए नर्क में. इंद्र देव का यह छल युधिष्ठिर को ज्ञान के बारे में बताने के लिए था.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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