इस शक्तिपीठ मंदिर में विज्ञान भी फेल! अकबर को भी होना पड़ा था नतमस्तक
Zee News Desk
Oct 17, 2023
हिमाचल के कांगड़ा के देवी मंदिर में सदियों से लगातार नौ ज्योत जल रही हैं. इन ज्योति का सोर्स आज तक पता नहीं चला है.
अकबर भी हुआ चकित
मुगल बादशाह अकबर ने भी यहां की अखंड ज्योति को बुझाने की कोशिश की, लेकिन नहीं बुझा पाया.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. बाद में कांगड़ा की पहाड़ी पर ज्योति रूप में देवी प्रकट हुईं. तब से आज तक ये ज्योति जल रही है.
किसने किया सबसे पहले दर्शन
सबसे पहले मां के दर्शन यहां पशु चरा रहे ग्वालों ने किए थे. तब से लेकर आज तक यहां श्रद्धालु श्रद्धा भाव से दर्शन करने आते हैं. यहां आने वाले लोगों की मुराद भी पूरी होती हैं.
अखंड ज्योत का सोर्स जानने के लिए कई बार हुई हैं रिसर्च
सदियों से जल रही अखंड ज्योत कौन-सी गैस से जल रही हैं और इसका सोर्स क्या है, ये जानने के लिए जापान समेत कई देशों से मशीनें लाई गईं.
लेकिन आज तक इसका सोर्स पता नहीं चला है. रिसर्च फेल होने के बाद वैज्ञानिक अपनी मशीनें यहीं छोड़ गए, जो आज भी यहां के जंगलों में पड़ी हैं.
ज्योतियों को छूने पर नहीं जलता है हाथ
मंदिर में जल रही ज्योति की एक खास बात ये है कि इन ज्योतियों को छूने पर हमारा हाथ नहीं जलता है. यहां आने वाले श्रध्दालु मां की ज्योति को छूते हैं और यहां माथा टेकते हैं.
किसने करवाया था मंदिर का निर्माण
सतयुग में माता ज्वाला जी के पहले मंदिर का निर्माण राजा भूमिचंद ने करवाया था. इसके बाद 1835 में कांगड़ा के तत्कालीन राजा संसार चंद और महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था.
यहां हैं देवी की 9 अखंड ज्योति
ज्वाला देवी मंदिर के गर्भगृह में 9 अखंड ज्योति जल रही हैं, जिनके अलग-अलग नाम हैं. पहली ज्वाला महाकाली की है. दूसरी ज्योति महामाया की है, जिन्हें अन्नपूर्णा भी कहते हैं. तीसरी ज्योति मां चंडी की, चौथी देवी हिंगलाज भवानी की और पांचवी ज्योति मां विंध्यवासिनी की है.
छठी ज्योति धन-धान्य की देवी महालक्ष्मी की है. सातवीं विद्या की देवी सरस्वती की है. आठवीं ज्योत देवी अंबिका की और नौंवी ज्योति मनोकामना पूरी करने वाली मां अंजनी की है.