गरबा के बिना क्यों अधूरा रहता है नवरात्रि का त्यौहार? जानें इसके पीछा का खूबसूरत इतिहास

Zee News Desk
Oct 03, 2024

नवरात्रि का त्यौहार साल में दो बार मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रों में गरबा और सजावट का खास महत्व होता है.

क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि में गरबा क्यों खेला जाता है? आज हम इसी विषय पर बात करेंगे.

गरबा और डांडिया दोनों ही गुजरात की संस्कृति का हिस्सा है.

गरबा के पहले दिन एक मटके में बहुत सारे छेद किए जाते हैं. जिसके अंदर दीपक जलाकर रख दिया जाता है. ये माता का स्वरूप माना जाता है.

उस दीपक के दीपगर्भ कहा जाता है. इसके अंदर दीपक के साथ चांदी का सिक्का भी रखते हैं.

दीप गर्भ को नारी की सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है.

इसी दीप गर्भ को माता शक्ति का स्वरूप मानकर तैयार होकर महिलाएं गरबा नृत्य करके माता को प्रसन्न करती हैं.

गरबे के नृत्य को शक्ति का स्वरूप माना जाता है. साथ ही रासलीला के रूप में माता के सामने गरबा नृत्य किया जाता है.

Disclaimer

प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. Zee News इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप कहीं भी कुछ भी इससे जुड़ा पढ़ें तो उससे पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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