Jai Shri Ram Katha: भगवान श्री राम (Shri Ram) के अंत समय या मृत्यु या उनके बैकुंठ धाम (Baikunth Dham) जाने के बारे में कम ही लोग जानते हैं. भगवान राम के मृत्यु से जुड़े तथ्य के बारे में अलग-अलग कथाओं में विभिन्न वर्णन मिलते हैं.

हिन्दू धर्म में भगवान श्री राम (Shri Ram) को अनंत काल से पूजा जा रहा है. धरती पर भगवान श्री राम ने त्रेता युग में जन्म लिया था. अयोध्या में राजा दशरथ के घर प्रभु श्री राम ने जन्म लिया था. तब से आज का दिन है, अयोध्या पावन नगरी है और यहां श्री राम की रोज पूजा होती है.

अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर भी तैयार किया जा रहा है. हिन्दू भक्तों को इस मंदिर के निर्माण का बेसब्री से इंतजार है. तमाम कथाओं में यह वर्णन है कि भगवान श्री राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व में हुआ था. भगवान विष्णु ने धरती पर प्रभु श्री राम के रूप में जन्म लिया था. उनके जन्म का उद्देश्य रावण को खत्म करना था.

कुछ कथाओं में कहा गया है कि माता सीता ने पुत्र लव और कुश को भगवान श्री राम को सौंपकर खुद धरती में समा गईं. जिसके बाद यमराज की सहमति से भगवान श्री राम ने सरयू नदी (Sarayu River) में जल समाधि ले ली थी.

कुछ कथाओं में यह कहा गया है कि एक बार यमदेव ने संत का रूप धारण कर अयोध्या में प्रवेश किया. उन्होंने भगवान श्री राम से कहा कि हमारे बीच गुप्त वार्ता होगी.

यमराज ने श्री राम के सामने शर्त रखी कि अगर हमारी वार्ता के दौरान कोई कक्ष में आता है तो द्वारपाल को मृत्यु दंड मिलेगा. भगवान राम ने यमराज को वचन दे दिया और लक्ष्मण (Lakshman) को द्वारपाल बनाकर खड़ा कर दिया.

इसके बाद यमदेव अपने असली रूप में आ गए और उन्होंने प्रभु श्री राम से कहा कि आपका धरती पर जीवन पूर्ण हो चुका है. इतने में ऋषि दुर्वासा (Rishi Durvasa) वहां पहुंचते हैं और भगवान श्री राम से मिलने की हठ करने लगते हैं.

लक्ष्मण उनको अंदर जाने से रोकते हैं तो ऋषि दुर्वासा श्री राम को श्राप देने की बात कहने लगते हैं. ऋषि दुर्वासा की बात सुनकर लक्ष्मण दुविधा में पड़ जाते हैं. वे सोचने लग जाते हैं कि ऋषि दुर्वासा को अंदर जाने देने पर मृत्यु दंड मिलेगा और न जाने देने पर भगवान श्री राम को श्राप मिल जाएगा.

लक्ष्मण ने अपने प्राणों की चिंता किए बिना ऋषि दुर्वासा को कक्ष में जाने की अनुमति दे दी. भगवान श्री राम और यमराज की वार्ता भंग हो जाती है. भगवान राम सोच में पड़ जाते हैं कि अब उन्हें अपना वचन निभाने के लिए लक्ष्मण को मृत्युदंड देना पड़ेगा. भगवान श्री राम ने लक्ष्मण को राज्य निकाला दे दिया.

लक्ष्मण ने अपने भाई राम का वचन पूरा करने के लिए सरयू नदी में जल समाधि ले ली. लक्ष्मण के जल समाधि लेने पर भगवान राम बहुत दुखी हो गए और उन्होंने भी जल समाधि लेने का निर्णय कर लिया. जिस समय भगवान राम ने जल समाधि ली, उस समय हनुमान, जामवंत, सुग्रीव, भरत, शत्रुघ्न आदि वहां उपस्थित थे.

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