इस मंदिर की मूर्ति में आज भी धड़कता है भगवान का हृदय, विज्ञान भी हैरान

Shraddha Jain
Jun 25, 2024

भगवान श्रीकृष्‍ण की लीलाएं मनमोहक होने के साथ ही चकित करने वाली भी हैं.

यह भगवान की ही लीला है कि आज भी पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर में रखी प्रभु जगन्‍नाथ की काठ की मूर्ति में दिल धड़कता है.

काष्‍ठ से बनी भगवान जगन्‍नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियां हर 12 साल में बदली जाती हैं.

इस दौरान भगवान जगन्‍नाथ की पुरानी मूर्ति से ब्रह्म पदार्थ निकालकर नई मूर्ति में स्‍थापित किया जाता है.

हिंदू धर्म में इस ब्रह्म पदार्थ को भगवान कृष्ण का हृदय माना गया है. जब भी मूर्ति में से ब्रह्म पदार्थ दूसरी मूर्ति में रखा जाता है.

तब पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है और हर जगह अंधेरा कर दिया जाता है. फिर ब्रह्म पदार्थ को स्‍थानांतरित करने वाले पुजारी की आंख पर पट्टी बांध दी जाती है.

मान्‍यता है कि इस दिव्‍य पदार्थ में इतनी ऊर्जा है कि इसे देखने वाला मर सकता है या अंधा हो सकता है.

पुजारियों का कहना है कि जब वे ब्रह्म पदार्थ को हाथ में लेते हैं तो यह खरगोश की तरह उछलता हुआ महसूस होता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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