यह एक सार्वभौमिक चेतना का प्रतिनिधित्व करने वाली पवित्र ध्वनि है.
त्र्यंबकम
यह शब्द महादेव शिव को संदर्भित करता है, जिनकी तीन आंखें हैं. यह तीन गुणों (सत्व, रजस, तम) और जीवन के तीन चरणों (जन्म, जीवन, मृत्यु) का भी प्रतीक है.
यजामहे
इस शब्द का अर्थ है- हम पूजा करते हैं, आराधना करते हैं और सम्मान करते हैं.
सुगंधिम
मतलब- सुगंधित, भगवान शिव की सर्वव्यापी दिव्य सुगंध का प्रतीक.
पुष्टिवर्धनम
इसका मतलब होता है- जो समृद्धि और पोषण को बढ़ाता है.
उर्वारुकमिव
इस शब्द का अर्थ है- पके हुए खीरे के समान, जो स्वाभाविक रूप से अपनी बेल से निकलता है.
बंधनन
सांसारिक आसक्ति और इच्छाओं के बंधन से.
मृत्योर्
मृत्यु से.
मुक्षीय
हमें मुक्ति प्रदान करें.
मामृतात्
आइए हम अमरता या शाश्वत जीवन के अमृत के साथ एक हो जाएं.
पूरा अर्थ
हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं. जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं. इस पूरे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं. इस पूरे विश्व में सुगंध फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें, जिससे कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए.
डिसक्लेमर
यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स, प्रवचनों, धार्मिक मान्यताओं और धर्मग्रंथों पर आधारित है. यह जानकारी जी न्यूज की राय नहीं है.