ब्रजभूमि का कोना-कोना भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का गवाह रहा है.

Sep 06, 2023

यहां ऐसे अनेक स्थाोन हैं, जहां श्रीकृष्ण के जन्मi से लेकर किशोरावस्थाo तक की घटनाओं की निशानियां मिलती हैं.

श्रीकृष्ण सखा-सखिथयों के साथ रास रचाते थे. उनके हाथ में मुरली, सिर पर मोर पंख का मुकुट और आस-पास गाय-बछड़े होते थे.

वृंदावन में ही एक वन है- निधिवन (Nidhivan). जहां तुलसी-कदम्बो जैसे पेड़ हैं. यहीं झाड़ों के बीच एक छोटा-सा महल है- रंग महल.

यही वो महल है, जिसके बारे में मान्य ता है कि यहां आज भी कान्हाे रात को रास रचाते हैं.

निधिवन की तुलसी की जो लताएं हैं, वही गोपिका बन जाती हैं और वन के अन्यो पेड़ ग्वा ल-बाल.’

वृंदावन के लोग बताते हैं कि दिन में यहां श्रद्धालुओं के आवागमन पर कोई रोक नहीं है.

मगर शाम होते ही निधिवन को खाली करा लिया जाता है. कहते हैं कि यहां जिसने रात को रुककर रासलीला देखने की कोशिश की, वो होश खो बैठा. पागल हो गया.

निधिवन में राधारानी का प्राचीन मंदिर है. इसके अलावा ‘रंग महल’ वो जगह है, जिसकी छत के नीचे श्रीकृष्ण के लिए सूर्यास्तो के बाद भोग रखा जाता है, दातून रखी जाती है.

लेकिन सुबह होने पर वहां कुछ नहीं मिलता, इसलिए भक्त कहते हैं कि कान्हा निशानियां भी छोड़ जाते हैं.

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