तुलसीदास जी रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में काकभुशुण्डि पात्र के बारे में बताया गया है.

Zee News Desk
Jun 05, 2023

शास्त्रों में बताया गया है कि काकभुशुण्डि जी का प्रथम जन्म शुद्र के रूप में अयोध्या पुरी में हुआ था.

शास्त्रों के अनुसार काकभुशुण्डि को पहले जन्म में भगवान शंकर द्वारा सुना कथा पूरी याद थी.

उन्होंने ये कथा अपने शिष्य को सुनाई थी और इसी तरह राम कथा का प्रचार प्रसार हुआ था.

भगवान शंकर के मुख से निकली श्री राम की ये कथा को अध्यात्म रामायण के नाम से जाना जाता है.

लोमश ऋषि के शाप से काकभुशुण्डि कौवा बन गए थे.शाप के बाद लोमश ऋषि को पश्चाप हुआ.

उन्होंने कौवे को शाप से मुक्त करने के लिए राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया. काकभुशुण्डि ने कौवे के रूप में ही अपना सारा जीवन व्यतीत कर दिया.

मान्यता है कि लोमश ऋषि ने भगवान शिव से वरदान पाया था कि एक कल्प के बाद मेरा एक रोम गिरे.

और जब मेरे शरीर के सारे रोम गिर जाएं तब मेरी मृत्यु हो जाए. पुराणों में लोमश ऋषि को अमर माना गया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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