काशी के इस चमत्कारी मंदिर में यमराज ने भी मान ली थी हार, खुद भगवान ने बचाए भक्त के प्राण

Zee News Desk
Sep 10, 2024

भारत

भारत में कई ऐसे राज्य हैं, जहां भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है.इन राज्यों में पहला नाम उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) का आता है.

मार्कंडेय महादेव

काशी में मार्कंडेय महादेव के नाम से एक मंदिर हैं, जहां पर भगवान शंकर के साथ उनके भक्त मार्कंडेय ऋषी की पूजा की जाती है.

मृकंडु ऋषि

ऐसी मान्यता है कि मृकंडु ऋषि और उनकी पत्नी को लंबे समय से संतान प्राप्ती की इच्छा थी, जिसके लिए दोनों भगवान शिव की साधना में लीन थे.

भगवान शंकर

उनकी साधना से प्रसन्न होकर, भगवान शंकर ने उन्हें अल्पआयु पुत्र होने का वरदान दिया.

ऋषी मार्कंडेय

भगवान शंकर के आशीर्वाद से जन्मे बालक का नाम ऋषी मार्कंडेय पड़ा, जो कम समय में ही वेद और शास्त्रों के ज्ञाता के साथ-साथ महादेव के बड़े महान भक्त हुए.

यमराज

ज्योतिषियों ने बताया था कि ऋषी मार्कंडेय की मृत्यु बहुत कम आयु में हो जाएगी. जब मार्कंडेय 14 वर्ष के हुए, तब ज्योतिषियों के बताए समय के अनुसार यमराज उनके प्राण लेने आए.

साधना

उस समय मार्कंडेय ऋषी और उनके पिता दोनों भगवान शंकर की साधना में लीन थे, जैसे ही यमराज ने मार्कंडेय ऋषी के प्राण को लेने की कोशिश की वैसे ही महादेव प्रकट हो गए.

अमर

महादेव ने कहा कि यह मेरा भक्त है और मार्कंडेय सदैव अमर रहेगा, इसी घटना के बाद यमराज को खाली हाथ जाना पड़ा था.

घटना

इस घटना के बाद से ही भगवान भोलेनाथ के साथ मार्कंडेय ऋषी की भी पूजा होने लगी और इस प्राचीन मंदिर का नाम मार्कंडेय महादेव मंदिर पड़ गया.

वाराणसी

ये प्राचीन मंदिर वाराणसी में गाजीपुर राजमार्ग में कैथी गांव में स्थित है, ये मंदिर कैथी महादेव के नाम से भी प्रचलीत है.

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