इस महान भारतीय वैज्ञानिक ने आइंस्टीन को भी कर दिया था हैरान
Deepak Verma
Jul 25, 2024
महान भारतीय वैज्ञानिक
सत्येंद्र नाथ बोस को 'गॉड पार्टिकल का जनक' कहा जाता है. वह महान भारतीय भौतिक विज्ञानी थे जिन्हें भारत सरकार ने 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया था.
भारत में मॉडर्न फिजिक्स
सत्येंद्र नाथ बोस ने ढाका और कलकत्ता यूनिवर्सिटी में फिजिक्स पर रिसर्च की और पढ़ाया भी. बोस ने मेघनाद साहा के साथ मिलकर भारत में मॉडर्न थियोरेटिकल फिजिक्स की नींव डाली.
बोस और आइंस्टीन
बोस ने 20वीं सदी के महानतम वैज्ञानिक कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन के साथ मिलकर सबएटॉमिक कणों के दो मूलभूत वर्गों का पता लगाया था.
बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट
आइंस्टीन असल में बोस की रिसर्च से बेहद प्रभावित थे. दोनों ने साझा रिसर्च के आधार पर बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट की भविष्यवाणी की. यह पदार्थ की वह अवस्था है, जो तब बनती है, जब बोसॉन कणों को परम शून्य (-273.15 डिग्री सेल्सियस) के करीब ठंडा किया जाता है.
साबित करने वालों को नोबेल
बोस और आइंस्टीन की भविष्यवाणी सच हुई. 2001 में तीन वैज्ञानिकों को गैसों में बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट की अवस्था हासिल करने के लिए फिजिक्स का नोबेल प्राइज मिला.
बोसॉन पार्टिकल
हिग्स बोसॉन नाम के सबएटॉमिक कणों का नाम बोस के नाम पर रखा गया है. 2013 में हिग्स बोसॉन की खोज करने वाले वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला.
बोस का योगदान
दोनों वैज्ञानिकों ने मिलकर बोस-आइंस्टीन सांख्यिकी का सिद्धांत भी दिया. बोस का सैद्धांतिक भौतिकी में महत्वपूर्ण योगदान है, खासतौर से क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में.