साबुन के आविष्कार से पहले लोग नहाते समय खुद को कैसे साफ करते थे?

(AI Photos)

Deepak Verma
Dec 02, 2024

ठंडे-ठंडे पानी से...

सुबह-सुबह नहा लो तो पूरे दिन मूड फ्रेश रहता है. दिनभर की थकान के बाद, शाम को बाथरूम में घुसकर शॉवर ऑन करते ही सुकून का अहसास होता है.

थोड़ा साबुन...

नहाते समय एक अच्छे और खुशबूदार साबुन का साथ मिल जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. साबुन हमें शरीर से गंदगी हटाने और जीवाणुओं से बचाने में मदद करता है.

साबुन से पहले...

साबुन का इतिहास यूं तो काफी पुराना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सदियों तक, नहाते समय इंसान केवल पानी का इस्तेमाल करता था.

भारत में स्नान

आज से कोई 4,000 साल पहले, भारत में सिंधु घाटी सभ्यता फल-फूल रही थी. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार सबसे पहले उदाहरणों में से हैं. वहां पर भाप स्नान करने की व्यवस्था थी.

साबुन का आविष्कार

प्राचीन साबुन का पता लगा पाना काफी मुश्किल है क्योंकि साबुन खराब हो जाता है. साबुन जैसे पदार्थों का सबसे पहला लिखित ब्यौरा लगभग 2500 ईसा पूर्व, मेसोपोटामिया में मिलता है.

कैसे बनाया?

सुमेरियाई लोग पानी और राख से नहाते थे. कुछ सौ साल बाद, मेसोपोटामिया के अक्कादियन साम्राज्य ने साबुन बनाने में खजूर, पाइन शंकु और तामरिस्क नामक झाड़ीदार पौधों के मिश्रण का उपयोग किया.

कितना अंतर?

बेसिक साबुत बहुत मूल पदार्थों से बनता है. पौधे, जानवरों का पित्त, तेल, रेत और लकड़ी की राख जैसे एक्सफोलिएंट, शुरुआती साबुनों में यही सब तत्व थे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 'आधुनिक और प्राचीन साबुन में कोई खास फर्क नहीं.'

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