इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए जन्नत से कम नहीं प्रयागराज की ये जगह, एक बार जरूर करें विजिट

Jul 04, 2024

प्रयागराज की पुरानी लाइब्रेरी में से एक ‘भारती भवन पुस्तकालय’ की स्थापना 1889 में हुई थी.

इस लाइब्रेरी में एंट्री करते ही ऐसा लगता है कि हम एक इतिहास से भरे गौरवशाली जगह पर आ गए हैं.

इस लाइब्रेरी को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और श्री बाल कृष्ण भट्ट ने बनवाया था. इसे बृजमोहन लाल भल्ला के जमीन पर बनाया गया है.

आज भी ये लाइब्रेरी पूरी तरह रनिंग कंडीशन में है. यहां किताबें पढ़ने के लिए आपको सालाना 100 रुपये देने होते हैं.

ये लाइब्रेरी सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुली रहती है. ये लाइब्रेरी शहर के चौक के लोकनाथ चौराहे के पास स्तिथ है.

लाइब्रेरी की दूसरी मंजिल कई हिस्टोरिकल खजानों से भरी है. आप यहां बहुत पुराने न्यूजपेपर पब्लिकेशन The Leader के उस वक्त के न्यूजपेपर देख सकते हैं.

यहां एक स्वतंत्रता सेनानी हॉल भी है जहां कई स्वतंत्रता सेनानी आकर किताबें पढ़ते थे. उस जमाने में ये लाइब्रेरी स्वतंत्रता सेनानियों और साहित्यकारों का अड्डा हुआ करता था.

यहां हिंदी, उर्दू और संस्कृत पुस्तकों सहित 1827 का पंचांग, संस्कृत की हस्तलिखित पांडुलिपियां जैसी तमान चीजें आप देख सकते हैं.

इस लाइब्रेरी के उर्दू विभाग में आप उर्दू में लिखी गई भगवद्गीता और रामायण भी देख सकते हैं.

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