गाड़ियों के पहिए काले

आखिर क्यों पूरी दुनिया में गाड़ियों के पहिए काले ही होते हैं?

कंपनियां काली ही क्यों बनाती हैं

आइए इस बारे में जानते हैं. आखिर टायर बनाने वाली कंपनी सफेद, पीला, नीला, हरा, गुलाबी क्यों नहीं बनाती हैं.

साइकिल से लेकर कार, ट्रक, हवाईजहाज और बस आदि सब के टायर काले क्यों होते हैं.

बहुत गहरा राज छिपा

भारत ही नहीं विदेशों में भी गाड़ियों के टायर काले रंग के ही होते हैं. इसके पीछे एक बहुत गहरा राज छिपा हुआ है.

प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन

टायर बनाते समय रबड़ का रंग बदला जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है टायर बनाने की प्रक्रिया को वल्कनाइजेशन कहते हैं.

रबड़ में काला कार्बन भी

टायर बनाने के लिए रबड़ में काला कार्बन भी मिलाया जाता है, जिससे रबर जल्दी नहीं घिसे.

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर सादा रबर का टायर 10 हजार किलोमीटर चल सकता है तो कार्बन युक्त टायर एक लाख किलोमीटर चल सकता है.

कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है

टायर में काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है. जिससे टायर काफी दिनों तक चलता है.

सड़क की सतह के बीच जबरदस्त घर्षण

कॉर्बन ब्लैक के कारण सड़कों पर चलने में टायर और सड़क की सतह के बीच जबरदस्त घर्षण होता है. काले टायर उसे बर्दाश्त कर लेते हैं, कभी पिघलते नहीं हैं.

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