पिता ने कहा तुम खानदान की नाक काटाओगे, लड़के ने रच दिया इतिहास
krishna pandey
Apr 18, 2024
आज ऐसे लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने जिदंगी में कभी अपने मां-बाप का कहना नहीं माना. एक लड़का जिसकी दिलचस्पी पढ़ने-लिखने से ज्यादा प्रकृति (Nature) को समझने में थी.
इस लड़के का एक ही लक्ष्य था कि धरती पर इंसान का विकास कैसे हुआ? लेकिन पेरेंट्स को लगता था वो बच्चा बड़ा होकर खानदान का नाम खराब करेगा. लेकिन उस बच्चे ने ऐसा इतिहास रचा जिसे आज भी पढ़ा जाता है.
लड़के ने ऐसा काम किया कि पूरी दुनिया के लोग उसके लिखे पर रिसर्च करते हैं. दूसरे स्टूडेंट्स लोग उसके बारे में पढ़ते हैं. उपलब्धियों के बारे में तो पूछो मत, पूरी दुनिया में जब तक इंसान रहेंगे इस लड़के का नाम रहेगा.
यह लड़का कोई और नहीं वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) थे. जिनका जन्म12 फरवरी 1809 को हुआ था.
इनके पिता रॉबर्ट डार्विन और मां सुसान डार्विन दोनों ही जाने-माने डॉक्टर थे. ब्रिटेनिका की रिपोर्ट के मुताबिक, डार्विन के डॉक्टर माता-पिता हमेशा चाहते थे कि वो भी डॉक्टर ही बनें, लेकिन इनका मन न तो पढ़ाई में लगता था और न ही माता-पिता के सपने को साकार करने में.
चार्ल्स का मन बस हमेशा से ही इस बात में रही कि धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई. पिता की लाख कोशिशों के बाद भी जब चार्ल्स का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उन्होंने थक-हारकर कहा, तुम्हे शिकार करने, चूहों और कुत्तों को पकड़ने के अलावा किसी भी चीज में दिलचस्पी नहीं है. तुम खानदान की नाक कटवाओगे. इस घटना के बाद इन्हें पढ़ाई के लिए एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी भेज दिया गया.
22 साल की उम्र में चार्ल्स को बीगल नाम के जहाज से दुनिया घूमने का मौका मिला. इस दौरान उन्होंने दुनिया को देखा, समझा और जाना. सफर के पड़ाव में उन्होंने जीव-जंतु, पेड़-पौधे और कीट-पतंगों की प्रजातियों के नमूने लिए और कई सालों तक इन पर रिसर्च की.
डार्विन की किताब ‘ऑन द ओरिजन ऑफ स्पेशीज बाय मीन्स ऑफ नेचुरल सिलेक्शन’ 24 नवंबर 1859 को पब्लिश हुई थी. इस किताब में एक चैप्टर था, ‘थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन’. इसी में बताया गया था कैसे हम बंदर से इंसान बने.चार्ल्स डार्विन की 19 अप्रैल 1882 को मौत हो गई, लेकिन उनके रिसर्च पर आज भी रिसर्च हो रहा है. है न यह कमाल का लड़का!