वैज्ञानिकों का मानना है कि करोड़ों साल पहले मंगल ग्रह पर पानी था. धरती की ही तरह वहां भी महासागर थे. हाल ही में एक साइंस जर्नल में दावा किया था कि मंगल की निचली सतह पर धरती के माउंट एवरेस्ट पहाड़ जितना ऊंचा ज्वालामुखी मिला है.
नए शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने मंगल की सतह पर माउंट एवरेस्ट से भी ऊंचे विशाल, विचित्र आकार के ज्वालामुखी की पहचान की है जो दशकों से किसी आवरण के पीछे छिपा था.
अब तक अज्ञात रहे इस मार्टियन ज्वालामुखी की पहचान ने विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है. मार्स इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर पास्कल ली, इस स्टडी के लेखकों के पैनल के हेड हैं. उनकी टीम ने 55वें लूनर एंड साइंस समिट में अपने रिसर्च के नतीजे पेश किए थे.
डॉक्टर ली ने बताया कि मैरीलैंड यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेज के डॉक्टरेट छात्र सौरभ शुभम ने मंगल ग्रह के नोक्टिस लेबिरिंथस क्षेत्र के भीतर एक ज्वालामुखी की पहचान की है. जो वहां पर मौजूद घाटियों के जाल के साथ भूमध्य रेखा के पास इलाके का एक टेढ़ा टुकड़ा है
शोध करने वाली टीम ने ये भी बताया कि इस ज्वालामुखी को ब्रह्मांड में आने वाली आपदाओं से नुकसान पहुंचा है. आपको इसे तुरंत पहचानना मुश्किल होगा.
डॉक्टर ली का कहना है कि इस रहस्योद्घाटन का मंगल ग्रह पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों को नई दिशा मिल सकती है. उन्हें ये भी उम्मीद है कि यह खोज से मंगल ग्रह में पानी, बर्फ और यहां तक कि जीवन की खोज के लिए भविष्य के चलाए जाने वाले हर मिशन में मददगार साबित होगी.
मार्च 2023 की एक स्टडी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि यहां का नोक्टिस लेबिरिंथस रीजन, नमक के भंडार से ढके एक विशाल ग्लेशियर का इपिसेंटर हो सकता है. तभी से डॉक्टल ली और शुभम नासा के मार्स रिकोनिसेंस ऑर्बिटर द्वारा जारी किए गए डेटा का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने यह निर्धारित करने की कोशिश की है कि नमक के नीचे जमे हुए पानी का भंडार मौजूद हो सकता है.