जमाना कोई भी हो महिलाओं को हमेशा से समाज ने भोग विलास की वस्तु की तरह देखा है. आज भी किसी वस्तु या प्रोडक्ट के विज्ञापन में किसी खूबसूरत महिला का मौजूद होना उसकी कामयाबी की गारंटी माना जाता है.

Shwetank Ratnamber
May 04, 2023

मिस इंडिया, मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स जैसे कंप्टीशन में महिलाओं की सुंदरता पर अंक दिए जाते हैं. रंगभेद जैसे आरोप लगे तो आयोजकों ने कहा कि खूबसूरती सिर्फ गोरे रंग में नहीं बल्कि उसके कई पैमाने होते हैं जिस पर नंबर दिए जाते हैं.

इसे पुरुष प्रधान मानसिकता ही कहेंगे कि पुराने वक्त में महिलाओं के चेहरे की सुंदरता तो छोड़ ही दीजिए, लोग महिलाओं के पैरों की सुंदरता पर भी बहुत ध्यान देते थे.

करीब आधी दुनिया पर राज करने वाले गोरे अंग्रेज अपने देश में महिलाओं के टखने की खूबसूरती का कंपटीशन करवाते थे. कहा जाता है कि धीरे धीरे ये चलन फ्रांस जैसे यूरोप के कुछ अन्य देशों तक पहुंच गया.

इंग्लैंड में सबसे सुंदर पैर (legs) और खूबसूरत टखने (prettiest ankle competition) की प्रतियोगिता करीब 100 साल पहले 1920 के दशक में शुरू हुई थी. इस आयोजन में कुछ पुरुष, महिलाओं के पैर देखकर उन्हें अंक देते थे.

हैरानी इस बात की है कि इस तस्वीर में महिलाओं के चेहरों को छुपा दिया गया है, सिर्फ उनके पैर नजर आ रहे हैं. अधिकांश आयोजनों में ऐसा पारदर्शिता बरतने के नाम पर होता था.

डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैंड और यूरोप के कई अन्य देशों में, सबसे सुंदर टखने का जो कंप्टीशन होता था वो केवल महिलाओं के लिए ही आयोजित किया जाता था.

इस कंप्टीशन में भी महिलाओं के पैरों, खासकर उनके टखनों को देखकर उन्हें मार्क्स दिए जाते थे और फिर सबसे ज्यादा नंबर पाने वाली महिला विजेता बनती थी.

रिपोर्ट के मुताबिक इंग्लैंड ये प्रतियोगिता काफी बड़े स्तर पर होती थी. कई महिलाओं को पर्दों के पीछे खड़ा कर दिया जाता था जिससे उनका चेहरा और शरीर छुप जाए. सिर्फ उनके पैर, खासकर टखनों को पर्दे के बाहर रखा जाता था.

उसके बाद प्रतियोगिता का जज, जो आमतौर पर पुलिस या स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी होता था, पैर देखकर नंबर देता था.

1940 तक ये कंप्टीशन चला पर फिर पर्दा हटा दिया गया और महिलाओं के शरीर के साथ, उनकी पर्सनालिटी पर भी नंबर दिये जाने लगे.

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