भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वीर हनुमान साहस बल पराक्रम और आत्मविश्वास का प्रतीक हैं. इस स्वरूप में हनुमानजी ने राक्षसों का संहार किया था. वीर हनुमान की पूजा से हमारा साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है.
सूर्यदेव हनुमान जी के गुरु हैं. जिस तस्वीर में हनुमान जी सूर्य की उपासना कर रहे हैं या सूर्य की ओर देख रहे हैं, उस स्वरूप की पूजा करने पर हमारी एकाग्रता बढ़ती है. ज्ञान में बढ़ोतरी होती है. घर परिवार और समाज में मान सम्मान मिलता है.
इस स्वरूप में हनुमानजी श्रीराम की भक्ति में लीन दिखाई देते हैं. जो लोग इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उनकी एकाग्रता बढ़ती है. व्यक्ति का मन धर्म.कर्म में लगा रहता है.
हनुमानजी रुद्र यानी शिवजी के अवतार हैं, जो काल के नियंत्रक हैं. इसलिए दक्षिणामुखी हनुमान की पूजा करने पर मृत्यु भय और चिंताओं से मुक्ति मिलती है.
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि हनुमानजी की जिस प्रतिमा जिसका मुख दक्षिण दिशा की ओर होता हैए वह हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप है. दक्षिण दिशा काल यानी यमराज की दिशा मानी जाती है.
इस स्वरूप की पूजा करने पर सभी देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है. घर-परिवार में शुभ और मंगल वातावरण रहता है.
देवी-देवताओं की दिशा उत्तर मानी गई है. इसी दिशा में सभी देवी-देवताओं का वास है. हनुमान जी की जिस प्रतिमा का मुख उत्तर दिशा की ओर है, वह हनुमानजी का उत्तरामुखी स्वरूप है.
इस स्वरूप में हनुमानजी श्रीराम की सेवा करते हुए दिखते हैं. इस स्वरूप की पूजा करने पर हमारे मन में सेवा करने का भाव जागता है. घर-परिवार के लिए समर्पण की भावना आती है. माता-पिता और वरिष्ठ लोगों की कृपा मिलती है.