बशीर बद्र के टॉप 10 शेर, जो भुला नहीं सकता जमाना

अबके आंसू आंखों से दिल में उतरे, रुख़ बदला दरिया ने कैसा बहने का

ज़हीन सांप सदा आस्तीन में रहते हैं, ज़बां से कहते हैं दिल से मुआफ़ करते नहीं

चमकती है कहीं सदियों में आंसुओं से ज़मीं, ग़ज़ल के शेर कहां रोज़-रोज़ होते हैं

गुलाबों की तरह शबनम में अपना दिल भिगोते हैं, मुहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

उसे किसी की मुहब्बत का एतिबार नहीं, उसे ज़माने ने शायद बहुत सताया है

मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला, अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

शौहरत की बुलन्दी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पर बैठे हो, वो टूट भी सकती है

जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है, आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा

हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिन्दा न हों