8 महीने पानी में डूबने के बावजूद भी बरकरार रहती है इस मंदिर की चमक

विश्व प्रसिद्ध

भारत में कई सुंदर इमारतें और कलाकृतियां हैं , जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.

हिमांचल प्रदेश

ऐसा ही एक मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है. (फोटो क्रेडिट- बाथू की लड़ी मंदिर फेसबुक पेज)

बाथू की लड़ी

इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी है ,जो अपने अनोखे रहस्य के लिए फेमस है. यह मंदिर पौंग बांध की महाराणा प्रताप सागर झील के टापू पर बसा है.

मंदिर खुलने का समय

बाथू की लड़ी मंदिर साल के 12 महीनों में केवल 4 महीने के लिए खुलता है.8 महीने यह पानी में डूबा रहता है.

निर्माण

इस मंदिर को लोग महाभारत काल से जोड़ते हैं और स्थानीय लोगों के मुताबिक किसी राजा ने इसको बनवाया था.

आठ भाग

बाथू की लड़ी मंदिर आठ छोटे भागों से मिलकर बना है जो केवल मार्च से जून तक ही दिखता है. जुलाई से फरवरी के बीच पानी में डूबा रहता है.

शिवलिंग

इस मंदिर के मुख्य द्वार पर भगवान श्री गणेश और मां काली की मूर्ति है. वहीं गर्भगृह में भगवान शंकर का शिवलिंग है.

पत्थर से बना

बाथू की लड़ी मंदिर पत्थरों से बना है. 8 महीने पानी में रहने के बाद भी मंदिर की बनावट में कोई बदलाव नहीं आया है.

रेंसर

पानी के बीच रहने से इसका नजारा द्वीप की तरह बेहद खूबसूरत लगता है. इसे रेंसर भी कहा जाता है.

कांगड़ा से धमेता

यहां जाने के लिए कांगड़ा से धमेता गांव तक टैक्सी से जाना पड़ता है. मंदिर के दर्शन के लिए नाव से जाना पड़ता है.

गेस्ट हाउस

बाथू की लड़ी मंदिर के पास रुकने के लिए वन विभाग का गेस्ट हाउस है, जहां आप ठहर सकते हैं.

Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारी इंटरनेट से ली गई है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है.