अक्सर हमारी जिंदगी में कोई न कोई एक दोस्त या साथी होता है, जिसे हमारे बारे में सभी बातें पता होती हैं.
क्योंकि हर इंसान को बात करनी होती है और बातों-बातों में वो अपने दिल के कई राज खोल जाता है.
लेकिन चाणक्य ने अपनी नीति में एक श्लोक में बताया कि आखिर क्यों किसी पर भी पूरा विश्वास नहीं करना चाहिए
श्लोक कुछ इस प्रकार- "न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्। कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥
यानी जो मित्र खोटा है, उस पर विश्वास नहीं करना चाहिए और जो मित्र है उस पर भी अति विश्वास नहीं करना चाहि
क्योंकि ऐसा हो सकता है कि वह मित्र कभी नाराज होकर सारी गुप्त बातें प्रकट कर दे.
आगे उन्होंने समझाया कि दुनिया में जितने भी अपराध या कुकर्म बढ़ रहे हैं, ज्यादातर में किसी अपने या करीबी दोस्त का ही हाथ होता है.
उन्होंने आगे कहा, 'घर का भेदी लंका ढाए' यह कहावत बिल्कुल सटीक है.
क्योंकि यदि कोई अपना या मित्र ही नाराज होता है तो वो आपकी गुप्त बातें सभी को बता सकता है, और ये परिस्थिति आपको नुकसान पहुंचा देती है
मित्र ही नहीं बल्कि घर में काम करने वाले कर्मचारी के बारे में भी इस प्रकार की सावधानी रखना आवश्यक है.