छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव होने हैं तो वहां आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को सचेत रहने की जरूरत है.
आदर्श आचार संहिता में उम्मीदवार किसी मतदाता को रिश्वत नहीं दे सकते. यह डराने-धमकाने और मतदान केंद्रों के पास प्रचार करने जैसी प्रथाओं पर भी सख्ती से रोक लगाती है.
बैठकों और जुलूसों के संबंध में, आयोजकों को स्थानीय अधिकारियों को पहले से सूचित करना होगा. हर प्रतिबंध का पालन करना होगा. पुलिस के निर्देशों का पालन करना होगा.
मतदान के दिन, पार्टियों को चुनाव अधिकारियों के साथ सहयोग करना चाहिए. अधिकृत कार्यकर्ताओं को अपनी पहचान को बताने के लिए आधिकारिक पेपर अपने पास रखने चाहिए.
चुनाव कार्यों में लगे किसी भी अधिकारी को किसी नेता से मिलने की मनाही है. साथ ही सरकारी खर्च पर कोई दावत नहीं हो सकती.
सरकार के काम को लेकर प्रचार-प्रसार करने हेतु विज्ञापन चलाने पर भी रोक रहेगी. वहीं, लागू होने होने के बाद भी अगर कोई योजना जमीनी स्तर पर शुरू नहीं हुई तो वह आचार संहिता के दौरान बंद रहेगी.
पेंशन फॉर्म जमा नहीं हो सकते हैं और साथ ही राशन कार्ड भी नहीं बनवाए जा सकते. हथियार के लिए लाइसेंस भी नहीं बनेगा.
इस दौरान कोई नया सरकारी काम भी शुरू नहीं होगा. नए काम के लिए टेंडर भी नहीं मिलेंगे.
वहीं, कोई बड़ी बिल्डिंगों को भी क्लियरेंस नहीं दी जाएगी. कुल मिलाकर, आदर्श आचार संहिता का उद्देश्य शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करना है.
चुनाव के संबंध में मैदान, हेलीपैड जैसे सार्वजनिक स्थानों पर सत्तारूढ़ दल का एकाधिकार नहीं होना चाहिए.