हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक.
तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के.
अमरत्व फूलता है मुझमे, संसार झूलता है मुझमें.
जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.
हो न्याय अगर तो आधा दो और उसमें यदि बाधा हो तो दे दो केवल पांच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम.
सौभाग्य न सबदिन सोता है, देखो आगे क्या होता है.