इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं, वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने
एक ही तो हवस रही है हमें, अपनी हालत तबाह की जाए
उस गली ने ये सुन के सब्र किया, जाने वाले यहां के थे ही नहीं
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं, अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या
अपने सब यार काम कर रहे हैं, और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
अब तो हर बात याद रहती है, ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई, तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
काम की बात मैंने की ही नहीं, ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं
यहां दिए गए जॉन एलिया ने लिखे हैं. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.