कैसे शुरू हुआ था करगिल का युद्ध? जानें घुसपैठ से लेकर भारत के हौसले का गाथा

कारगिल दिवस

26 जुलाई को पूरा देश कारगिल दिवस के रूप में सेलिब्रेट करता है. जानिए इस युद्ध से जुड़ी जरूरी बातें जो सबको पता होनी चाहिए.

घुसपैठ

यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था और 2 महीनों तक चला था. घुसपैठियों ने जम्मू और कश्मीर के करगिल इलाके में घुसपैठ शुरू कर दी थी.

बंजू हेडक्वार्टर्स

3 मई को स्थानीय चरवाहों ने इलाके में घुसपैठियों के दिखने की खबर बंजू हेडक्वार्टर्स में भारतीय सेना को दी थी.

पाकिस्तानी सेना

खबर मिलने के बाद भारतीय सेना ने 5 मई 1999 को जवानों को इलाके में गश्त के लिए भेजा था. उनमें से 5 जवानों को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया.

बटालिक सेक्टर

10 मई, 1999 को द्रास, काकसर और बटालिक सेक्टर में घुसपैठियों को देखा गया और अंदाजा लगाया गया कि घुसपैठिए बड़ी संख्या में भारतीय चौकी पर कब्जा कर चुके है और यहीं से ओप्रेशन विजय की शुरूआत हुई.

26 मई, 1999

भारतीय वायु सेना ने 15 कोर्प्स के समर्थन में एयर 'ऑपरेशन सफेद सागर' शुरू किया जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थिति की घोषणा की.

क्षत-विक्षत अवशेष

1 जून 1999 को पाकिस्तान ने कश्मीर और लद्दाख में नेशनल हाईवे-1 पर गोलाबारी शुरू की थी, इंटरनेशनल कम्युनिकेशन ने भारत के खिलाफ सैन्य आक्रामकता के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. 9 जून को भारतीय सैनिकों ने बटालिक सेक्टर में दो स्थानों पर दोबारा कब्जा कर लिया. जिसके एक दिन बाद 10 जून को पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट के छह सैनिकों के क्षत-विक्षत अवशेष भेजे.

11 जून, 1999

भारतीय इंटेलिजेंस ने घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना की भूमिका का खुलासा किया और कुछ दिन बाद भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने करगिल का दौरा किया और सैनिकों को संबोधित किया. 20 से 28 जून 1999 के बीच 56 ब्रिगेड ने पॉइंट 5140 और प्वाइंट 4700 पर कब्जा किया.

अमेरिकी राष्ट्रपति

5 जुलाई, 1999 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की, जिसके बाद कारगिल से सैनिकों की वापसी की घोषणा हुई.

11 जुलाई, 1999

पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पीछे हटना शुरू कर दिया, जिससे भारतीय सेना को बटालिक क्षेत्र की कई चोटियों पर नियंत्रण करने का मौका मिल गया और 26 July 1999 में करगिल का युद्ध औपचारिक तौर पर खत्म हुआ.