कुमार विश्वास आज देश-विदेश में नाम कमा चुके हैं. वे कविता पढ़ने के लिए विदेश भी जाते हैं.
वे हिंदी के सबसे महंगे कवियों में गिने जाते हैं. एक शो करने के लाखों रुपये लेते हैं.
हालांकि, एक दौर ऐसा भी था जब पिताजी के दबाव में कुमार विश्वास इंजीनियरिंग कर रहे थे.
वे तब हॉस्टल में रहते थे. उनका रूममेट एक सरदार था, जो छुट्टियों में घर गया हुआ था.
कुमार को रूममेट के सामान में एक किताब दिखी. ये किताब ओशो ने लिखी थी.
किताब का नाम था 'माटी कहे कुम्हार से'. तब इस किताब की कीमत मात्र 1 रुपया थी.
किताब में लिखा था- अपने अंदर की आवाज सुनें, इसके खिलाफ मत जाइए. इसके खिलाफ जाने का अर्थ है, ईश्वर के खिलाफ जाना.
फिर कुमार ने इंजीनियरिंग छोड़कर साहित्य पढ़ने का फैसला किया. कुछ सालों बाद कुमार हिंदी के बड़े कवि बन गए.
यहां दी गई जानकारी इंटरनेट से ली गई है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता.